भारत एक विशाल देश है। इसकी आबादी करीब 130 करोड़ है और यह विश्व का दूसरा सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। इसमे से 69% यानी कि करीब 90 करोड़ लोग गाँवो में रहते हैं। इस विशाल देश में भूखमरी एक अति विकट समस्या के रूप में उभरी है।

भोजन हर जीव की एक मूल आवश्यकता होती है, शरीर के विकास तथा संचालन के लिए पयार्प्त पौष्टिक भोजन जरूरी होता है- यह कुछ ऐसी बाते हैं जिन्हें हम बचपन से सुनते आए हैं और हम इनसे भली प्रकार परिचित हैं। बावजूद इसके आज देश में भुखमरी जैसे गम्भीर मुद्दों की परवाह विरले ही कोई करता है। परन्तु यह भी एक कड़वा सच है कि भारत भुखमरी से जूझ रहा है। भारत एक कृषि-प्रधान देश है और क़रीब 62% लोग कृषि पर निर्भर करते हैं मगर इसके बावजूद भी भुखमरी का इतना ज्यादा होना हमारी सरकार पर कई सवाल खड़े करता है। वर्ष 2014 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स(GHI) की 76 देशों की सूची में भारत 55वी रैंक पर था। फिर वर्ष 2019 में 119 देशों की सूची तैयार की गई। GHI की इस सूची में भारत 102वे स्थान पर था। बांग्लादेश,पाकिस्तान, नेपाल समेत एशिया महाद्वीप के लगभग सारे ही देश इस सूची में भारत से बेहतर स्थान पर थे। यह बात एक शर्मनाक सच के रूप में उभरी की भारत जैसे विकासशील कहा जाने वाला देश दुनिया के उन निचले देशों में शुमार है जो अपनी ग़रीब जनता की भूख मिटाने में अक्षम साबित हुए हैं। 2019 में आई UNICEF की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में करीब 9 लाख बच्चे जिनकी उम्र 5 साल से भी कम थी, उनकी मौत भोजन अभाव से हुई थी। इनमें से लगभग 6.5 लाख बच्चे कुपोषण का शिकार थे। UNICEF की इस रिपोर्ट की माने तो वर्ष 2018 में सबसे ज़्यादा मौतें भारत मे दर्ज हुई थीं। आपको शायद जानकर हैरानी होगी की भोजन अभाव की ऐसी समस्याओं के बावजूद भी क़रीब 40% सब्जियां और 30% उत्पादित अनाज ख़राब व्यवस्था के कारण सड़कर बर्बाद हो जाते हैं। ऐसे देश में जहाँ एक ओर लोगो को पेट-भर भोजन नही नसीब होता है वहीं दूसरी ओर सरकार और प्रषासन की ऐसी लापरवाही मेरे हिसाब से बर्दाश्त करने योग्य बात बिल्कुल नही हो सकती। 2018 में भारत सरकार के आंकड़ों पर बनाई गई एक रिपोर्ट की माने तो प्रतिदिन देश में क़रीब 3000 बच्चों की मौत भूख से होती है। साथ ही इसमे ये भी बताया गया की देश की करीब 22% जनता $1.9 प्रतिदिन से भी कम आय पर जीवन यापन करती है। इन आंकड़ों से साफ हो जाता है कि जहाँ एक ओर देश का सम्पन्न तबका तरक्की कर रहा वहीं दूसरी ओर देश की गरीब जनता की हालत बद से बत्तर होती जा रही है।
किसी भी देश का भविष्य उसकी आने वाली पीढ़ी के हाथ मे होता है मगर अपने देश की आने वाली आधी पीढ़ी ही अगर कुपोषण का शिकार हो रही है, यह एक अति गम्भीर विषय है। इतनी दयनीय स्थिति के बावजूद न तो हमारा मीडिया इन मुद्दो को उठाना चाहता है और न ही हमारी सरकार इन मामलों पर कोई विशेष ध्यान देती है। भूख सभी को लगती है और भोजन पर सबका बराबरी का अधिकार होता है। मगर फिर भी हमारे परिवारों को भोजन का अभाव कभी झेलना नही पड़ता और दूसरी ओर उन ग़रीब परिवारों को जिन्हें सरकार तो क्या हम सब भी नही पूछते, उन्हें भूख से तड़प-तड़प कर मौत तक का सफर तय करना पड़ता है। यह हास्यास्पद ही है कि ऐसे विकट मामलों में देश की ऐसी नाज़ुक हालत होने के बावजूद भी हमारे प्रधानमंत्री ‘सब चंगा सी’ के नारे कहते हुए मिलते हैं। यह हम सबके लिए एक सोचने का विषय है कि सरकार की नीतियों का लाभ असल मे देश के ग़रीब तबके तक पहुँच पाता भी है या नही। क्या आपको लगता है की चाँद और मंगल पर पहुँचना भारत पर लगे भुखमरी जैसे कलंक को मिटाने से ज्यादा जरुरी है?? विचार करें।